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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

(पिता) क्या हमने निभाया फर्ज अपने आप का, क्या चुकाया है

सभी को पितृ दिवस की बधाइयाँ, पिता का हृदय विशाल है, आसमां का विस्तार है। पिता के पास है सुरक्षा की गैर-जरूरी शर्तें, पिता हर मुश्किल में देते हैं सहयोग। पिता ईश्वर से पहले साथ देता है, पिता हर दुःख को मोड़ देता है। पिता की गोद में मिलता है असर ऐसा, जो लगे सुख के समंदर के रूप में। पिता की क्रोध में भी प्रेम का पुट होता है, पिता भी छिप कर छिप कर हमारे लिए रोता है। जो संन्यास के वास्तु त्याग दे अपना हर सुख, पालन दे खुद को भी पिता बोता है। पितृ दिवस पर हर पिता को नमन। नृपेंद्र शर्मा "सागर"  प्रिया शर्मा: कमी कोई नहीं तेरे में बहना नजर। बिना लक्ष्य पाए क्यूं छोड़ दें अपना डगर। नदी के मार्ग में भी आओ लाख विपदा। हो मजबूत तो पायो अपनी मंजिल मगर। [7:09 PM, 6/16/2019] प्रिया शर्मा: पकड़ इंगुली सिखाती है जो पिता ने ही हम घूमते हैं। अपाला, पदमा, लक्ष्मी सिखाती है हमें ढकना। पिता के वायदो को झूठा कभी ना हम कर सकते हैं। सपनो को घनीभूत होते हैं हम बढ़ते हैं। [7:42 PM, 6/16/2019] सर्वेन्द्र सिंह: (पिता) क्या हमने निभाया फर्ज अपने आप का, क्या चुकाया है हमने कर्ज अपने बाप का, सम्भाला जिसने हमको शौक सारे छोड़ के, सपने देखे मेरे खुद के सपने तोड़ के, लाभ हम जो जीता दर्द संकट के ताप का। मां ने हमें जन्म दिया बोलना सिखाया, पिता ने हमें जीवन दिया, जंग में खुद को तोलना सिखाया, मतलब सिखाया हमें सेवा और श्राप का। लेखक- सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 [9:19 PM, 6/16/2019] मोनिका: प्रभु अद्भुत तेरे संसार की माया। बदन के लिए भी तनी काया। जिस्म का सख्त ,बड़ा खुश मिज़ाजी था जो स्नेह ,ममता भरी उस वृक्ष की देखी छाया मोनिका मासूम [9:24 PM, 6/16/2019] Monika: जिस्म लोहा दिल यह पत्थर की बात बताता है पिघले जज्बात को लावा साजत है सख्त बर्फीले हिमालय साहो गया हूं मैं जब बच्चों ने मेरा नाम पिता रखा है मोनिका मासूम [9:48 PM, 6/16/2019] मोनिका: पिता है शक्ति तन मन की, प्रथम अभिव्यक्त जीवन की पिता है छत की मिट्टी, जो थामे घर को है शत्रु ही द्वार पिता प्रहरी सतर्कता रहता है चौपहरी पिता दीवारो दर है छत, ज़रा स्वभाव का सख्त पिता पालन है पालन है, पिता से घर में भोजन है पिता से घर में अनुशासन, मांग जिसका प्रशासन पिता संसार बच्चों का, स्वीकार्य आधार सपनों का पिता पूजा की थाली है, पिता होली दीवाली है पिता अमृत की धारा है, ज़रा सा स्वाद खारा है पिता हिमालय की, ये चौखट है शिवालय की हरि ब्रह्मा या शिव होई, पिता सम पूजनिय कोई हुआ है न कभी होई, हुआ है न कोई होई। ... मोनिका "मासूम" [4:56 AM, 6/17/2019] प्रिया शर्मा: पकड़ उँगुली सिखाता है जो पिता ने ही हम चलते हैं। अपाला,पदमा,लक्ष्मी सिखाती है हमें रजतना। पिता के वायदो को कभी नहू झुठला हम सकते हैं। सपनो को पंजर आ गए हम बढ़ते हैं। [9:46 AM, 6/17/2019] मोनिका: पिता ने ही हमें उंगली पकड़कर बोलना सिखाया है। अपाला पद्मा लक्ष्मी रूप में ढालना सिखाती है। पिता की हुई शिक्षा को हम झुठला नहीं सकते। पिता ने ही तो मंजिल की ओर देखना सिखाया है। [7:34 PM, 6/18/2019] निरपेश: दुर्घटना में भी विवाद ललचाते हैं कभी काला भूरा कभी कभी भूरा रंग दिखा रहा है, उन्हें देख के हमारे मन हर्षाते हैं लेकिन गीत भी वेवफा प्रेमिका मि तरह पकोड़ी हमसे बनबाकर कहीं और हिट हो जाते हैं हैं।। [12:35 पूर्वाह्न, 6/19/2019] सर्वेन्द्र सिंह: जून जा रहा है, मानसून आ रहा है। सताया बहुत गर्मी ने, अब सोचा आ रहा है। हमें गर्मी ने बहुत सताया है, बदला लेने वाले बादल आए हैं। धूप ने घूँघट ओड़ा है गर्मी में, क्लाउडया भी वेशर्मी में है। क्योंकि बरसात का स्मरण आ रहा है। लेखक- सर्वेन्द्र सिंह 9927090136 [8:40 AM, 6/19/2019] सर्वेन्द्र सिंह: मेरे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए इस लिंक को फॉलो करें: https://chat.whatsapp.com/DIknCDYJfopLqiwCBRaH0y [6:36 PM, 6/19/ 2019] निर्पेश: मय्यत पे मेरी यारों बरसात हो रही थी, लोगों ने देखा तो बेवफा वो रो रही थी। जिंदा थे जब तक इकरार कर ना पाया, निकला जनाजा मेरा फिर क्यों वो रोया।। दिल लूट कर वो मेरा ना मुझसे मिले मिले, सब जान कर भी उसने की मुझसे वेवफाई। खुद के बहाने खुद के आंसुओं में धोखा हो रहा था, मेरे कफन को कातिल रोककर दबा रहा था। क्या मजबूरियां थी ऐसी इकरार कर ना पाई। जनाज़ा उठा मेरा बारात सज ना पाया। दिल चाक हुआ मेरा उसका बेमुरब्बती से, क्यों उसने की सगाई अंजान अजनबी से। क्या तोड़ के दिल अपना बो कोई फ़र्ज़ खेल रही थी, क़ीमत पे आँसुओ के घर की इज़्ज़त बचा रही थी। लगता है आज मेरा खता नहीं था, वो मेरी मोहब्बत थी वो वेवफा नहीं थी। दुनिया के नियम शायद वो भी निभा रहा था, वो तो आज भी मोहब्बत अपनी जा रही थी। मय्यत पे मेरी यारों बरसात हो रही थी, लोगों ने जाके देखा मेरी महबूब रो रही थ… [7:18 PM, 6/19/2019] प्रिया शर्मा: ब्योजाह नहीं हम हंसे है, ब्योजह हम नहीं है राजये। बेवजह हम नहीं हंसे तो, बेवजह हम नहीं है राजये। जाने अनजाने क्यूं हमें ब्योजाह बना दिया तराना। छोड़ें और काम सपनो की दुनिया में खौये। [7:20 PM, 6/19/2019] प्रिया शर्मा: ब्योजह नहीं हम हंसे हैं, ब्योजह हम नहीं है राजये। बेवजह हम नहीं हंसे तो, बेवजह हम सौये नहीं हैं। जाने अनजाने क्यूं हमें ब्योजाह बना दिया तराना। छोड़ें और काम सपनो की दुनिया में खौये। [7:23 PM, 6/19/2019] निरपेश: वेबजह नहीं हंसे हम, वेबजह नहीं हैं रोये। वेबजह नहीं जागे हम वेबजह नहीं हैं सोये। हमने छोड़ दी सोच, सपनो में अब कल्पना की है। वेबजाह ही शब्द जोड़े, या बन गए तराना। लो मैंने कहा है, इस दिल का सब फसाना।। [7:38 अपराह्न, 6/19/2019] प्रिया शर्मा: मैं याद करती हूं।संग विरोध करती हूं। परिश्रम से वन का अभी शंख नाद करता हूं तुम ईश्वर, तुम्ही मौला, तुम सीमित भगवान मेरे हो। डांगो और फसादो का स्वयं श्राद्ध करता हूं। [7:39 PM, 6/19/2019] प्रिया शर्मा: मैं याद करती हूं,संग विरोध करती हूं। परिश्रम से वन का अभी शंख नाद करता हूं। तुम ईश्वर, तुम्ही मौला, तुम सीमित भगवान मेरे हो। डांगो और फसादो का स्वयं श्राद्ध करता हूं। [7:41 PM, 6/19/2019] +917409380757: मरते उन वीरों की अब चीखें ना दिखती हैं, तोड़ स्थिति जो दम देखो वो सांसे ना दिखती हैं। एक छींकने वाले नेताओं की सभी लंगर चिल्लाते हो, फूल जैसे कि बच्चों की अब लाशें नहीं दिखती हैं। ✍✍ धीरेन्द्र सिंह [7:44 PM, 6/19/2019] निरपेश: स्वर में आप जहां थोड़ा रुकते हो क्रिएट में वहां, शोर और कतार के अंत मे । जाओ। अंतिम पंक्ति को:- द्वेष और फसादों का, स्वम् अब श्राद्ध करता हूं। इस प्रकार लिखें। ये केवल एक सुझाव है [8:15 PM, 6/19/2019] सर्वेन्द्र सिंह: https://l.facebook.com/l.php?u=https%3A%2F%2Fsarvendrasingh1994.blogspot.com%2F2019%2F06%2Fblog-post_93.html%3Fspref%3Dfb %26fbclid%3DIwAR2O9tU7Ep-CKnH3FohMQfTGR6v4r-gPbYdWe16fxUp120Ag0dKvJOIRnS8&h=AT3H8d-_WOzz33cnyZEY6cBllFAwaBL56Ae2TiFT7IOq5_pFmcf2ANRpIdNQIFqC7M9disZmlGMh8nviJJ9wRAgYJhK7dy63L2PgldIOPjxXiQ0LClEWEN9HLpSsZoy7Hm1vlqvepWk8cqrZ41IiO2iDV5EuPbkQFtOQ8vABHhPKiw [11:41 AM, 6/20/2019] Priya Sharma: करे कोई भरे कोई यहां तकरार की बाते। हुई खत्म लाइफ से सभी इकरार की बात। मारो, जलाओ का न्याय सुनाई देता है। है थोड़ी यहां पुन:हथियार की बात। (दंगो और फँसादो को नहीं देना हवा तुम तो।) [8:05 AM, 6/21/2019] मोनिका: करे कोई ,भरे कोई दीं तकरार की बात। खत्म हो गए हैं लाइफ से प्यार, प्यार की बाते। जानो और मारो, अब यही है चारों तरफ शोर सुनाई दे रहा है हर सूं फरकत हथियार की बात। (डांगो और फँसादो को नहीं देना हवा तुम तो।) [8:28 AM, 6/21/2019] +91 89419 12642: योग दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित - 🙏😊👇 तन-मन को दिखाएँ, दूर वाए रोग। मनुज-ईश के मिलन का, नाम दूसरा योग। 🙏👇 - राजीव 'प्रखर' मुरादाबाद [8:28 AM, 6/21/2019] सर्वेन्द्र सिंह: इश्क में होड़ फड़कती थी, मैं जामने से देखते हैं जीतेगा क्या जामना दीवाने से, न वो जीता न हम जीते मोहब्बत में, सतर्कता बस एकता प्यार फैलाने से। लेखक- सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 [8:42 AM, 6/21/2019] सर्वेन्द्र सिंह: 21 जून योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं योगा करो या योग करो, बस दूर खुद के रोग करो, रोज पंद्रह मिनट निकाल के, भाई योगा कई लोग करो। संसार सारा निरोग करो, योग करो भाई योग करो। लेखक- सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 [9:46 AM, 6/21/2019] निरपेश: अगर कभी कोई पानी में डूबकर मर जाए और उसका शरीर 3 से 4 घंटे में मिल जाए तो उसकी जिंदगी वापस ला सकता हूं। अगर कभी किसी को ऐसी दूर्घटना दिखे या सुनाई दे तो तुरंत हमें बताएं।।। किसी की जान बचाई जा सकती है।। हमारा मोबाइल नंबर प्रशान्त त्रिपाठी +919454311111 और +919335673001 है आप सभी से क्षमा अनुरोध है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये। किसी की भी जान बचाओ तो अपना जीवन सफल अनुभव।धन्यवाद पानी में डूबे हुए व्यक्ति का इलाज =================== लदान क्विंटल डले वाला नमक को देखने के रूप में बालाकर को उस पर कपड़े कम करके बता दें। धीरे-धीरे शरीर से पानी सिक्सोग लेगा। मरीज के होश में आने पर अस्पताल ले जाए। इससे पहले कि आप अस्पताल ले गए और डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया तो आप नमक वाले उपचार करें प्रभु कृपा से खुशी की लहरें फैलें। डाँक्टर… [10:41 पूर्वाह्न, 6/21/2019] +91 88002 06869: आप सभी रचना के बीज हैं, ?? कहानी आजतक के संपादक संजय सिन्हा की लिखी है तब मैं जनसत्ता में नौकरी करता था एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने साम के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी मैंने खबर में सिर झुकाकर कहा कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला खबर छपी किसी को आपत्तिजनक नहीं थी पर शाम को देखने से घर के लिए होने लगीं प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि संजय जी, पति की बीवी नहीं "पति की बीवी नहीं?" मैं चौंका था “बीवी तो शौहर की होती है, मियां की होती है पति की तो पत्नी होती है भाषा के मामले में प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था हालांकि मैं कहना चाहता हूं कि स्पष्ट करना चाहता हूं कि भाव तो है न ? बीवी… [1:03 PM, 6/23/2019] मिनाक्षी ठतुर: 212 212 212 212 ग़ज़ल प्यार भरूँ बंदगी की तरह, दिल की निराशा में तुम मेहनत करो। जुस्तजू चांद पाने की मुझको नहीं, मैं बरतती रहूँ चाँदनी की तरह। मंज़िलें इश्क में जब करीब आ गई लम्हा-लम्हा केटी एक सदी की तरह। यूँ तो सभी अपना जी रहे फिर भी जीते नहीं पुरुष की तरह। रोलिंग तसव्वुर में मिलने लगें, और जब तक रुकें अजनबी की तरह। मीनाक्षी, मिलन विहार मुरादाबाद ✍✍✍ [1:13 PM, 6/23/2019] Priya Sharma: सपने देखने का हाल होता है। कोई नीड चेन लेता है, कोई रोटा है। सब है उस ईश्वर के हाथ की काठपुतली। कोई भी बैठे-बैठे लक्ष्य के लिए तैयार रहता है। [6:03 PM, 6/24/2019] प्रिया शर्मा: कथा कहानियो के माध्यम से शांति कहा। है बातो के करने से प्रकट क्रांति कहा। अगर आप सभी चाहते हैं कथन करें एक हो। उसके लिए साधना है, कोई भ्रांति ने कहा। प्रिया@गुरदासपुर@पंजाब [10:06 PM, 6/24/2019] +91 88580 60226: हर झटकेते पत्थरों को लोग दिल समझते हैं उम्रें जाती हैं दिल को दिल बनाने में - बशीर बद्र साहेब ... हमारी भी एक नाकामी कोशिश , कुछ दिल की बयानबाजी की ...✍✍🙏🏻🙏🏻 https://youtu. 6/25/2019] सर्वेन्द्र सिंह: सर्वेन्द्र एक सच्चा प्रेम गाथा [10:28 PM, 6/25/2019] मोनिका: एक पंडित जी एक दिन अपने बच्चे से उलझ गए। बच्चे ने भी एक प्रश्न चिन्ह दिया कि, "वो कौन-सी वस्तु है, जो कभी अपवित्र नहीं होती......?" पण्डित जी टोपी उठ कर पसीने-पसीने हो गए, मगर, बेटे के सवाल का जवाब नहीं देते। फाइनल, हार मान कर बोलो, चलू बता । बच्चे ने कहा कि कभी न अपवित्र होने वाली वस्तु है, टैंट हाउस के बैट्री, जो...... हिन्दू, -मुसलमान से ले कर पंडित, हरिजन कुम्हार, डोम और बाल्मीकि सभी धर्म के लोग उपयोग करते हैं। ये आस मैयत से लेकर पूजा पंडाल तक और धार्मिक कथा से ले कर उठानी तक हर क्षेत्र पर बिछते हैं। उन्हें कोई सुतक भी नहीं लगता। बाराती भी इन गद्दों पर सोम-रस पीने के बाद वमन करते हैं। छोटे बच्चों को सुविधानुसार इन पर पेशाब कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, इन पर बिछी चादरों से जूतों की चमक भी बन जाती है। हद तो तब… [10:52 PM, 6/25/2019] प्रिया शर्मा: विहंस का मतलब बताएं आदरणीय [11:52 PM, 6/25/2019] +91 75054 66827: ✍ जिस बहाने की, गांठे खोल सकता है उस पढ़ाई पर नहीं जाना चाहिए। किसी की कोई बात बुरी लगे तो, दो तरह से सोचे ,, यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है, तो बात भूल जाएं और* बात महत्वपूर्ण है तो, व्यक्ति को भूल जाएं !! सफलता हमेशा अच्छे विचार से आती हैं... और अच्छे विचार आप जैसे अच्छे लोगों के संपर्क से आते हैं... जय श्री कृष्णा...... [2:36 PM, 6/26/2019] +917409380757: फूल की लाशों का हमने कब्रिस्तान बना डाला, हर सहरा को अब देखें रेगिस्तान बना डाला। हम ज़ुल्मों पर बस केबल हिन्दू-मुस्लिम पे अड़े रहे द्र ज़लिमो ने भारत को लिंचिस्तान बना डाला ✍धीरेन्द्र सिंह [3:46 PM, 6/26/2019] मोनिका: वो भारत की अनपढ़ पीढ़ी जो हम सबके साथ बहुत डँटती थी - कह रही थी "नल धीरे धीरे... पानी बदला लेता है! अन्न में ना जाइए, नाली का कीड़ा बन जाएगा! सुबह-सुबह तुलसी पर जल चढाओ, बरगद पूजो, पीपल पूजो, आँवला पूजो, मुंडेर पर चिड़िया के लिए पानी नहीं रखा कि नहीं? हरी सब्जी के लिए महिलाओं के लिए अलग-अलग सूची में सूची। कांच टूट गया है। उसे अलग रखें। कूड़े की बाल्टी में न डालें, कोई जानवर मुंह न मार दे। .. ये हरे पत्ते पत्ते में, कही भी जगह नहीं मिलेगी........ यह पीढ़ी इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी पर पर्यावरण की चिंता करती थी, क्योंकि वह शास्त्रों की श्रुति परंपरा की शिष्य थी। और हम चार पुस्तकें पढ़कर उस पीढ़ी की आस्थाओं को जकड़ लेते हैं, धरती को विनाश की दृष्टी पर ले आते हैं। और हम "आधुनिक... [5:30 PM, 6/26/2019] +91 98975 48736: 👏🏻👏🏻 [9:07 PM, 6/26/2019] मयंक: अवधी बोली के साहित्य में इस शब्द का प्रयोग अधिक देखने को मिलता है। [9:34 पूर्वाह्न, 6/27/2019] मिनाक्षी ठतुर: आँख में आँसू की दौड़ो से भर जाता हूँ, अक्स बनके मेरी जाँ रुह में उतर जाता हूँ। भूलना चाहूँ भी तो कैसे दिखा दूँ तुमको, ख्याल बनके तुम सदस्यता में सँवर हो जाते हैं।। मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार मुरादाबाद ✍✍✍✍ [12:49 PM, 6/27/2019] Minaxi Thatur: दोस्ती करके किसी नादान से इश्क में टकरा गया तूफान से। दिल में रहते थे कभी जो हमनवां आज क्यूं बुरा मेहमान से। मेहनत में तू नहीं तो कुछ नहीं, अब गुलिस्तां भी वीरान से लगीं। याद ही शेष रही अब दरम्यां दिल के जोड़े कहीं भी अरमान से । खुदकुशी करना नहीं यूँ हारकर, मौत भी आती मगर सम्मान से। वो गया दिल तोड़ दिया तो क्या हुआ, मेहनत फिर भी मिला गौरव से। तंगदिल दे दे बस घाव ही, आरज़ू करना सदा भगवान से । मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार मुरादाबाद 🌹🌹🌹✍✍✍ [2:20 PM, 6/27/2019] मोनिका: बेशक मुझे अपनों से तुम गैरों में ले आओ। हाथों में मेरा थाम के बाहर गए हुए लोग जो राह ए हयात में उनकी भी मंजिलों के बारे में सोचते हैं, चलते हैं कि जीने की मुम्मल करें ग़ज़ल जला नई रदीफ नए काफ़िये चलो कोशिश करें कि प्यार के बने रिश्ते बने रहें दिल से मिटाएं दिल के सभी फासले वाले "मासूम" देखकर हमें पत्थर जो हो गए दिखलाएंगे ऐसे लोगों को हम आइने पर। मोनिका "मासूम" [3:57 PM, 7/1/2019] प्रिया शर्मा: नारी तुम्हारा रुप , कभी तो छाया, कभी तो धूप। ऋषियो ने कहा देवी सम्मान सींक। पूछी गई क्रांति का बिगुल बजाया। आंगन,पायल छोड़ दिया तुमने तलवार जबी तो ठामी। अनाचार,अत्याचार को फैंका कंपकंपी। ममता तेरे के आगे , टिकटा नहीं नो नाता। मेरी आंखो मे कभी आशु लेन नहीं। बड़े प्रेम से आपको होगा गढ़ा विधाता ने कदम कदम पे नहीं मिलता है माता का स्वरुप। मानव चोले मे हवान कलिये को नौचा है। चमन का हुआ बुरा,कैसे मूड ने खराब किया है। शर्म कर ले, धर्म कर ले ऐसे न कर्म करिये। ना मानो तो धरती सिर्फ सन कूप होगी। [4:22 PM, 7/1/2019] मोनिका: कुछ यूं भी 😊😊 कहूं हिटलर का पोता या उसे सद्दाम का नाती न जाने क्यों मेरी कोई मंजूर उसे नहीं भाती कि इक मुस्कान को उसकी लाटती है मेरी आंखें मुई सौतन है ये मेरे सामने भी नहीं आती मेरी परवाह वो करता है, कुछ ये मुहब्बत है बिछड़ कर आहें भरता है, कुछ ये मुहब्बत नहीं है मेरी इज्जत को जब से अबरु अपनी खबर है हरिक अफवाह से डरता हैं कुछ ये मुहब्बत नहीं है @मोनिका"मासूम " 28/6/16 मुरादाबाद [4:43 PM, 7/1/2019] प्रिया शर्मा: तेरे तेरे रुपये , कभी तो छाया, कभी तो धूप। ऋषियो ने कहा देवी सम्मान सींक। पूछी गई क्रांति का बिगुल बजाया। आंगन,पायल छोड़ दिया तुमने तलवार जबी तो ठामी। अनाचार,अत्याचार को फैंका कंपकंपी। ममता तेरी के आगे, टिकता नहीं कोई नाता। मेरी आंखो मे कभी आशु लेन नहीं। बड़े प्रेम से आपको होगा गढ़ा विधाता ने कदम कदम पे नहीं मिलता है माता का स्वरुप। मानव चोले मे हवान कलिये को नौचा है। चमन का हुआ बुरा,कैसे मूड ने खराब किया है। शर्म कर ले, धर्म कर ले ऐसे न कर्म करिये। ना मानो तो धरती सिर्फ सन कूप होगी। [8:30 PM, 7/1/2019] प्रिया शर्मा: आदमी आदमी ना रहा। इंसानियत ढूंढे ने कहा। कैसे मिलते-जुलते मिलते-जुलते कुपात्र कैसे मिलते हैं। लक्ष्य मार्ग ने कहा ना पता। ढूढ़ने पर कासा जहां। दिवारो में कवाड़ो मे। यू सुनामी में, बढ़ो मे। हौसला अफजाई ने कहा। जीना और मरना यह हौसला अफजाई नहीं। शत्रु है भाई बुरी बातें नहीं खोदते गड्डा। अपनो का अपनो ने सहा। [9:41 पूर्वाह्न, 7/2/2019] +91 94578 55522: दिल तड़पता है एक ज़माने से, आ भी जाओ किसी मंडल से, बने दोस्त भी मेरे दुश्मन, एक आपकी क़रीब आने से। जब अपना मुखिया बना ही लिया, कौन डरता है फिर ज़माने से, तुम भी दुनिया से दुश्मनी ले लो, दोनों मिल जाएं इस पाखंड से चाहे सारे जहान मिट जाएं, इश्क मिटता नहीं मिटाने से..😊 कवि ईशान्त शर्मा (ईशु) [9] :43 AM, 7/2/2019] निरपेश: लो भाई एक ओर गया काम से आहे भरने लगा महबूबा के नाम से। दिन ढलते हैं अब तो सूरज निकल रहे हैं, रात होने लगी है अब शाम से। बहुत खूब ईशु भाई, बधाइ हो। [12:57 अपराह्न, 7/2/2019] निरपेश: आज पहली बार कथा को लघु करने का प्रयास किया गया है आशा है गुरुजन मार्गदर्शन मार्ग। प्रस्तुत है मेरी लघुकथा "जन्मदिन" अरे दादा जी तैयार नहीं हुए अभी, ओफ्फो आप भी आपको पता है ना हमें दो जगह जाना है आज हम दोनों का जन्मदिन है, आज हम मिठाइयां गीतोने किताबें बस्ते भी लिए हैं और आपके वृद्धाश्रम के मित्रों के लिए बहुत से व्यंजन, जल्दी न देर होगी। आठ साल की सनी के दादा श्री जुगलकिशोर जी के पीछे पड़ रहे हैं और वे मुस्कुरा रहे हैं। चल रहे सनी बेटे को आशंका तो दो अभी तो सारे लोग उठे भी नहीं होंगे, या फ़िर बाज़ार भी तो अभी खुला नहीं। ओहो दादाजी अपको शाम को ही बाजार में ले जाने वाले थे, सनी फिर बिगड़ गईं। अरे सन्नी शाम को ली मिठाईयन ओर व्यंजन ताज़े थोड़े रहो, इस बार पीएम ने मुस्कुरा कर कहा। जुगल किशोर जी को साठ साल पहले का अपना बचपन याद आ गया जब आपकी जन्मदि… [10:13 PM, 7/2/2019] Minaxi Thatur: 🌹🌹 [4:04 PM, 7/3/2019] प्रिया शर्मा: मेरे आशु, मेरे मौला मुझे दर्शन दिखाओ। तेरे दर की भिखारी हूं, मुझे जीना अच्छा लगा। ये संसार ना अपना है, मगर खूबसूरत सपना है। कुछ गलत भी है, मगर सब कुछ काल्पनिक है। कड़ा हाथ से विष तो अमृत,मुझे पिलाना। अचेतन को चेतन तुम सीमित किया है। कुछ भी नहीं लिया, मगर दिया ही दिया। तेरे उपकारो की भावना मध्म हो सकती है। सद्गुरु तुम निर्दोष, मेरे पापो को भूला देना। मेरे अंदर करो प्रभु जी उजाला तुम। बंद सदियो से लग रहा है। निष्ठुर नहीं, तुम मर्यावान हो। सदगुरु कर कृपा अपने मार्ग पर चलें। [4:04 अपराह्न, 7/3/2019] प्रिया शर्मा: गीत सही है बताएं [10:58 अपराह्न, 7/3/2019] निर्पेश: एक प्रेम कहानी "प्रेम की इतिश्री" हुतो!! हटो ,,, सामने से ,,, अरे बचो !! स्कूटी को पैरों से रोकने की कोशिश करती 'श्री' चिल्लाती रही, और जब तक वह अपनी स्कूटी को रोक लेती है वह सामने खोखे के पास रुका 'प्रेम' की सायकल का अगला पहिया तोड़ कर मोड़ चुकी थी। अरे,,, आपको चोट तो नहीं लगी,,!! आसपास के लोग 'श्री' को उठा कर सहानुभूति दिखाते हैं। अँधेरा क्या,,,दिखाई देता है। पूरी सड़क पर घिनौनापन कर सकते हैं, परेशान नहीं कर सकते थे, आंखे क्या बस लड़कियों को घेरने के लिए घिरे हुए हैं ऊपरवाले ने। 'श्री' क्रोध से प्रेम को गूरूते हुए चिल्लाने लगे। सोरी,, प्रेम ने धीरे-धीरे कहा और अपनी साइकिल को तोड़ते हुए उसे पकड़ कर घसीटता हुआ सर झुकाये एक ओर चल दिया। 'श्री' भी अपनी स्कूटी के लिए बड़ी बड़ी हो गई। वहां खरीदी हुई भीड़ कभी 'श्री' की तो कभी 'प्रेम', की गलती से तस्वीरें ले रहे हैं। एक तो तूने उसकी सायकल तोड़ दी ऊपर से उसे ही अपराधी बन… [11:06 PM, 7/3/2019] निरपेश: प्रस्तुत है मेरी कहानी "मोहिनी 'एक भूतनी की प्रेम कथा'" के कुछ अंश:- मोहिनी निगाहों पर दूसरे के साथ बैठे, हर की नाक में एक अजब मनमोहक सूंघने लगी। पहली बार दिखने में और जब वह मोहिनी की तरह समा गया तो उसे पता भी नहीं चला। सुबह जब वह उठा तो अकेला था लेकिन उसका पूरा बदन टूट गया था उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी पूरी ताकत को किसी ने निचोड़ लिया हो, रात 'कुछ' होने का गहरा उसके 'बदन' पर धब्बे के निशान छोड़ रहे थे। वह उठकर नहाया पूजा करते हैं मंदिर में और रात के विषय में सोचते हैं, मोहिनी' भूत' है ?? एक आत्मा एक भूतनी उसे प्यार करती है। अब बार-बार ऐसा होने लगता है मोहिनी रात को देर तक दोनों बातें करती और छटपटाती रहती है। हर सुबह कुछ होने के साथ बहुत अधिक गिरफ्तारियां महसूस करता है। अब तो वह कभी कभी… [1:55 PM, 7/5/2019] मोनिका: दिन पशेमाँ शाम का रंगीं नज़र देखकर रात शर्मिंदगी है सुब्हो का इशारा देख कर एक मुश्किल में ज़रा करना सहना देखकर एक सफीन डूबना मत जाना देखकर ग़र्दिशों की मार से खुद टूट कर रह गया है वो मांगते हम बुरा देखा स्टार देखकर द्वेष की आतिशों से छोड़ देते हैं ख़ाक हो जाते हैं गुलशन एक शरारा देखकर झुक गए, धरती की जानिब जब गरूर ए आसमां खुली हुई जमी हुई धरती ने बाहें जल की धारा सभी पुस्तकें देखकर, कॉपियां बारिश में कह गईं खुश हुई "मासूम" बच्चा यह ख़सारा देख कर। मोनिका इनोस [2:01 PM, 7/5/2019] +91 98975 48736: 👍🏻👍🏻👏🏻👏🏻 [2:04 PM, 7/5/2019] Minaxi Thatur: हास्य ग़ज़ल आ गई बरसात का मौसम सुहाना झूमकर, देख लो धूम पर दरिया बह रहा है टूटकर। कह रहने के लिए गढ्ढे बचके हमनवां, डूब जाओगे सजनवा बस तनिक स्लाइड अगर । लबलबाती बिजबिजाती गंदगी की क्या खता, प्रीट कूड़े ने बजाई नालियों में डूबकर आपकी सूरत हसीं पर लग रही कीचड़ मुई, कार वाले की हिमाकत से लगी तुम्हें नजर। काँपते लिपो की ख़्वाहिश पर ज़रा सा गौर हो, चाय पीने को मिले संग में पकौड़े हों अगर।। मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार मुरादाबाद ✍😀🙏🙏 [2:36 PM, 7/5/2019] +91 89419 12642: एक अनोखा साक्षात्कार -------------------- --------- झूठ बोल सकते हो ? नहीं साहब। चोरों लुटेरों की मदद कर सकते हो ? नहीं साहब। किसी निर्दोष और लाचार को तो सदा कर सकते हो ? नहीं साहब। तो नेतागिरी का सपना, अभी भूल जाओ। ऐसा करो कि कुछ दिन, दारोगा जी के साथ बिताओ। बाद में आकर बताया। जब सब कुछ सीख जाओ, तो नेताओंगिरी में आ जाना।🙄🤥😁🤩🙏 - राजीव 'प्रखर' मुरादाबाद [1:36 PM, 7/7/2019] मोनिका: गजल प्रतियोगिता-45 महा प्रतियोगिता-8 राहें तारिकाएं वीरान हैं सड़कें यारो ग़म ज़दा शाहर की सुनसान हैं सड़कें यारो तारीक*- अंधेरी दूर तक जाती हैं मंज़िल का पता देने को हाल से अपने ही अन्जान हैं सड़कें यारो मोड़ से कई मोड़ों से अटक जातीं हैं ये न सोचें सोचे जा रहे हैं सड़कें या रो छोड़ जाती हैं मेरे दर पे मेरे अपनों को मुझ पे करती बड़ी एहसान हैं सड़के या वक्त के मारे कि गुरबत में बूबिका लोगों का घर है तो दालान हैं सड़कें यारो दूर लाएं जो हमें गांव की पगडंडी से। हां, उसी शहर की पहचान हैं सड़कें यारो नौकरी दुर्घटना "मासूम"हुई जाती है तेज रफ्तार से हैरान हैं सड़कें यारो मोनिका "मासूम" मुरादाबाद [2: 09 PM, 7/7/2019] +91 94578 55522: सुहानी फ़ज़ा है, सुहाना है सीज़न कहिए किसे,आशिकाना है सीज़न..!! ये खामोशियाँ, ये न ग़ैरों की बातें ये महोशियाँ, चाँद के चश्मे की बातें दीवाना है आलम, दीवाना है मौसम कह रही हैं किसे, आशिकाना है मौसम..!! ये महकी हवाएँ, ये बह्ली चौकें ये बेताबियों मे मचलती सदाएं है दिल शायराना, ताराना है सीज़न कह रही हैं किसे, आशिकाना है सीज़न..!! ये गुलशन के गुल, और भंवरों की हलचल ये दिलकश समा, वो पिघलता सा बादल रूहानी खुशी का ख़ज़ाना है मौसम कहिए किसे, आशिकाना है मौसम..!! सुहानी फ़ज़ा है, सुहाना है सीज़न कहती किसे, आशिकाना है सीज़न..!! ईशान्त शर्मा (ईशु) [4:03 PM, 7/7/2019] निरपेश: आपकी शायरी में मोहब्बत के जज्बात हैं, इस आशिकी के पीछे ज़रूर कोई बात है। [8:13 अपराह्न, 7/16/2019] सर्वेन्द्र सिंह: गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभः कामनाएँ गुरु रोलिंग ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना मान नहीं, गुरु से बड़ा इस दुनियाँ में कोई भगबान नहीं। ठाओ सर्वेन्द्र सिंह चौहान मुरादाबाद [11:48 AM, 7/22/2019] सर्वेन्द्र सिंह: https://youtu.be/jJ4YhWhDmOA हाँ मैं वेरोजगार हूँ यारो, वास्तव में वेकार हूँ यारो, बिक जाता हूँ फिर भी खड़ी चढ़ाई में , हाँ मैं स्वयं एक व्योपार हूँ यारो। [11:50 AM, 7/22/2019] सर्वेन्द्र सिंह: हाँ मैं वेरोजगार हूँ यारो, वास्तव में वेकार हूँ यारो, बिक जाता हूँ फिर भी भीड़ चढ़ाई में, हाँ मैं खुद एक व्योपार हूँ यारो। ठाओ सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 हाँ मैं स्वयं एक व्योपार हूँ यारो। ठाओ सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 हाँ मैं स्वयं एक व्योपार हूँ यारो। ठाओ सर्वेन्द्र सिंह 9927099136

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