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बुधवार, 21 जून 2023

सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा


🌹सर्वेन्द्र एक सच्ची प्रेम गाथा🌹
भाग - 32
दशेन्द्र सिंह ने एक हॉस्पिटल में नेहा को भर्ती करा दिया,
बुला डॉक्टर साहब को नेहा का इलाज शुरू करा दिया।
नब्ज देख नेहा की डॉक्टर ने नर्स बुलाई पल में।
चढ़ानी शुरू कर दी नेहा के दवा दाल बोतल में।।
बोतलों की दवा से नेहा को बहुत आराम मिला।
दवा के बदले में डॉक्टर को बहुत दाम मिला।।
पहुँच गए सर्वेन्द्र के मात-पिता फूफा मामा आधी रात में।
साथ मे लाए बो सभी रुपये बो भी भारी तादात में।।
देख के हालत नेहा की आँखो में सबकी भरआया पानी है भाई।।।
भारत देश के......

भाग -33👇🏻
दे कर पैसे सर्वेन्द्र के पिता लौट गए।
देख भाल हेतू वहाँ माँ को रोक गए।।
बोले नेहा को न कुछ होने दूँगा चाहें बिक जाय जमीदारी।
परेशान न हो बेटा अब ठीक हो जाएगी नेहा तुम्हारी।।
सिर पर हाथ सहला बोले बहू होना तू परेशान नहीं।
छीन जो मुझसे ले बीमारी ये बीमारी इतनी बलबान नहीं।।
खुश रहे बेटा न किसी बात का तू संकोच कर।
परेशान न हुआ कर बीमार है यह सोंच कर।।
अब मैं जा रहा हूँ बेटा नेहा यहॉं तेरी सास रहेगी।
ख्याल रखने को तेरा बेटा माँ तेरी तेरे पास रहेगी।।
बोले सर्वेन्द्र की माँ से नेहा को समय से दबा खिलानी है भाई।।.....

भाग-34👇🏻
जब हालत में हुआ सुधार नेहा को डॉक्टर ने छुट्टी देदी।
घर पर खाने को डॉक्टर ने नेहा को दवा और घुट्टी दे दी।।
दो चार दिनों के बाद नेहा की हालत नीक हुई।
खा कर दवा नेहा की अब तबियत ठीक हुई।।
नेहा की तबियत में जब हो सुधार गया।
रोजी रोटी कमाने को सर्वेन्द्र हो तैयार गया।।
बोला मम्मी को छोड़ आऊँ फिर करूँगा कुछ काम मैं।।
जा कर मुरादाबाद कर लाऊँ कुछ पैसों का इंतजाम मैं।।
मम्मी को छोड़ कर तुम पहले दूसरे कमरे का इन्तजाम करो।
मैं न रह सकती इस कमरे में रहने को कोई दूज ठाम करो।।
ठीक न रह सकती मैं इस कमरे में ये कमरा शैतानी है भाई।।.....

भाग-35👇🏻
आ कर मुरादाबाद से सर्वेन्द्र ने नेहा की बात पे अमल किया।
ढूँढ़ कर एक मकान सर्वेन्द्र ने कमर बदल दिया।।
ले लिया मकान एक किराये का मोहल्ला सराय झाँझन में।
आया पसन्द नेहा को भी कमरा छाया दोनों की आँखन में।।
जुलाई ने खिलाई दवाई,अब मस्त हो अगस्त गया।
सर्वेन्द्र भी अब अपने कामों में हो ब्यस्त गया।।
प्रेमपूर्वक रहने लगे दोनों अब उस मकान में।
लगा सारी परेशानी खत्म हुई,जान सी आई जान में।।
सोंच खुश रखूं नेहा को जितना कोई खुश नहीं जहान में।
खुशी मिलती थी सर्वेन्द्र को सिर्फ नेहा की मुस्कान में।।
रहे खुश सदा नेहा मेरी कुछ करनी कारस्तानी है भाई।.....

भाग-36👇🏻
जैसा सर्वेन्द्र सोंचा बैसा कुछ भी हुआ नहीं।
न जीता जंग जिंदगी की,जीता जीवन का जुआ नहीं।।
आ गया दोनों पर फिर वक्त बुरा।
खिल खिलाती खुशियों में घोंपने छुरा।।
वक्त ने उन दोनों के जीवन से ऐसा खेल खेला भाई।
फिर से झगड़ों के गड्ढे में दे दिया धकेला भाई।।
वक्त ने ला कर उसी मोड़ पर आ खड़ा किया।
नहीं चाहते थे आपस में लड़ना,है दोनों को लड़ा दिया।।
फिर से अनबन करा दी वक्त ने एक जरा सी बात में।
बोली नेहा नहीं रह सकते अब हम तुम्हारे साथ में।।
साथ दोनों प्रेमी जीवों के वक्त ने की बेईमानी है भाई।.....

भाग-37👇🏻
एक जरा सी लड़ाई में नेहा ने रिश्ता तोड़ दिया।
सक के सैलाब में फंस,राहों को नया मोड़ दिया।।
कर के सक हुआ खराब लक फूटी किस्मत दोनों की।
अब साथ न रह पाएँगे, टूटी हिम्मत दोनों की।।
कर के फोन नेहा ने अपने बाप को बुला लिया।
चाहां दिल से नेहा को नेहा ने आप को भुला दिया।।
भरोसा नहीं था सर्वेन्द्र को नेहा चली जाएगी।
खिलती बहारों की ऐसे सूख कली जाएगी।।
जैसे कोई छीन ले गया हो विरासत हमारी जंग में।
ले गए नेहा के पिता जी निहारिका हमारी संग में।।
मार के ठोकर चली गई बो,करदी नादानी है भाई।.....

भाग-38👇🏻
गया हुआ था सर्वेन्द्र बाहर किसी काम को।
नेहा का अता पता नहीं घर आया जब शाम को।।
पड़ोसियों ने उसे बताया कि नेहा तेरी भाग गई।
कैसी पत्नि थी तेरी ये जो दे तुझे राग गई।।
जा रही हूँ संग बाप के,क्या तुझे ये बात बताई है।
पति के पीछे चली गई,कैसी बदजात लुगाई है।।
बोले पड़ोसी गम न कर,सर्वेन्द्र भाग्य तेरा फूट गया।
मनाले भगबान को अपने,भगबान तेरा है रूठ गया।।
बन के हम सफर,तुझे छोड़ के सफर में।
धोका दे गई नेहा,तुझे आधी डगर में।।
दिल तोड़ गई सर्वेन्द्र का बो दिलबर जानी है भाई।.....

भाग-39👇🏻
नेहा के पिता जी नेहा को ले मुरादाबाद आते हैं।
सरस्वती विहार में घर मित्र के नेहा को छोड़ जाते हैं।।
नेहा रहेगी घर तुम्हारे ठीक से तुम ख्याल रखना।
चली न जाए धोका देकर ध्यान से देखभाल रखना।।
इधर रपट लिखा दी सर्वेन्द्र ने जा सिकन्द्राबाद थाने में।
मेरे ससुर का हाथ है साहब मेरी पत्नी को भगाने में।।
SSPऔर DMसे जा लगाई गुहार।
लिख लो रपट मेरी,नेहा लापता है सरकार।।
Dm चन्द्रकला जी ने अर्जी पे मोहर की लगा दी निशानी है भाई।.....

भाग -40👇🏻
बोली Dm(Ssp,को देना,मैंने दी मोहर लगाई है।
और दिखा देना मेरी पर्ची ये मिल जाएगी तेरी लुगाई है।।
सर्वेन्द्र ने जा ssp से बताई बात सारी है।
Dm के प्रेशर से भैया की खोजन की तैयारी है।।
Fir लिखा के सर्वेन्द्र आया ताऊ के घर पर भाई।
कुछ समय बाद नेहा ने फोन दिया कर इधर भाई।।
सुनी आबाज जब नेहा की आँख में आँसू आ गए।
जैसे भारी बारिश करने को बादल धाँसू छा गए।।
बोला सर्वेन्द्र तू कहाँ पर है जान मेरी।
तेरे विन निकलती जाए नेहा जान मेरी।।
तुम से बिछड़ के नेहा मेरी हर धड़कन तड़पानी है भाई।.....

भाग-41👇🏻
तुम से बिछड़ी तो दर्द हुआ दिल में आ याद गई।
बोली नेहा संग बाप के मैं आ मुरादाबाद गई।।
तुम कहाँ पर हो आ जाओ पिया जी पास में।
दूर हो कर हूँ तुम से,पिया जी उदास मैं।।
ताऊ जी के घर पर हूँ मैं सिकन्द्राबाद में।
पहुँच जाऊँगा सुबह मैं मुरादाबाद में।।
मैं सुबह करूँगा तुम से नेहा अब बात।
जहाँ पर है तू नेहा करूँगा तुझसे मुलाकात।।
बोला ताऊ से नेहा का पता अब चल गया।
साथ लेकर नेहा को प्रेमसिंह दे दखल गया।।
ले गया साथ मे नेहा को बो अभिमानी है भाई।.....

भाग-42👇🏻
चल दिया सर्वेन्द्र लेकर टिकट स्टेशन से।
दिल से दुखी था सर्वेन्द्र,नेहा की टेन्शन से।।
जा रहा था सोंचता ये सर्वेन्द्र सफर में ।
क्यों छोड़ गई नेहा साथ मेरा अधवर में।।
पूछुंगा जाकर क्यों दिल तोड़ा मेरा तूने।
गलती क्या थी जो साथ छोड़ा मेरा तूने।।
बता कौन सा गुनाह किया मैंने जो तूने जख्म दिया।
एक जरा सी बात पे नेहा रिश्ता तूने खत्म किया।।
रात भर तो सफर किया पहुँचा घर सुबह।
है मेरी नेहा किधर यारो लगा खोजने वह।।
जब तक नेहा से मिला नहीं  न पिया पानी है भाई।.....

भाग-43👇🏻
फिर नेहा का फोन आया आ जाओ सरस्वती विहार में।
लोकवाणी केंद्र के सामने बाली गली में कर रही इंतजार मैं।।
जहाँ हूँ मैं वो सरोजा ऑन्टी का मकान है।
लोकवाणी केंद्र के सामने सीधे हाथ पे तीसरा मकान है।।
नेहा के बताए पते पे है अब सर्वेन्द्र पहुँच गया।
डर किसी का किया नहीं,बो आशिक बेसंकोच गया।।
देख के सूरत अपनी नेहा की सर्वेन्द्र है रोने लगा।
पटकी सी कहा गिरा जमीं पे सुधबुध बो खोने लगा।।
देख के हालत नेहा भी है रोने लगी।
उठा बाहों में सर्वेन्द्र को मोहने लगी।।
अपनी करनी पे आज नेहा पछतानी है भाई।.....

भाग-44👇🏻
नेहा समझो हालात तुम मेरे।
निहारिका चलो साथ तुम मेरे।।
भुला के सारे गिले शिकवे तुम मुझे माफ करो।
गर दिल में है कोई बात तो कह के दिल साफ करो।।
कभी न तुम्हें डाँटूँगा जब भी शिकायत होगी।
बोली मकान मालकिन किसी ने न की ऐसी मोहब्बत होगी।।
नेहा ये लड़का तुझे करता है बहुत प्यार।
नेहा अब तो तू दिल से गुस्सा दे निकार।।
कभी न तुझे दुखी रखेगा देगा सारी शोहरत।
क्योंकि तुझे चाहता है ये तुझे करता है मोहब्बत।।
तू बन गई नेहा सर्वेन्द्र की जिंदगानी है भाई।.....

भाग-45👇🏻
बोली नेहा उस औरत से सुनो भाभी।
जरा-जरा सी बात पे ये हो जाते हैं हाबी।।
करते नहीं कभी मेरे मनकी जम के डाँट लगाते हैं।
कुछ भी सोंचू करने को तो उसकी बाट लगाते हैं।।
बोला सर्वेन्द्र वादा करता हूँ तुझसे ओ गोरी।
हर बात मानूगा तेरी मत करना मुँहजोरी।।
मत कर शिकायत मेरी अपनी तू बड़ाई री।
तेरी ही मुँहजोरी नेहा कराती है अपनी लड़ाई री।।
तू जो मुँहजोरी न करे तो न कोई बात बने।
जुदा न होना पड़े एकदूजे से ऐसे न कोई हालात बने।।
जब भी समझाऊँ करती आनाकानी है भाई।.....

भाग-46👇🏻

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