Hi
【 मधुशाला-शराब 】
🤔 बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद, खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत, तो कैसे चलती मधुशाला | व्यवसाय रूका है उन गरीबों का, जो नोट की जपते थे माला ||
इस कविता को पूरा पढ़िए कैसा लगा कमेंट कीजिए #share
🤔
नहीं मिल रहा राशन पानी, मगर मिलेगी मधुशाला | भाड़ में जाए जनता बेचारी, दर्द में है पीने वाला||
🤔
आपत्ति नहीं जताओ कोई, खुलने दो ये मधुशाला | कोरोना मुक्त होगा भारत, जब ठेके पर चलेंगें त्रिशूल और भाला ||
🤔
मेरी विनती है तुम सब से, गर जाए कोई मधुशाला | वापिस ना आने दो उसको, तुम बंद करो घर का ताला ||
🤔
दुनिया है बरबाद, और इन्हें चाहिए मधुशाला |
घर में ही रह लो..पागल लोगों, ना बचा पाएगा वो रखवाला ||
🤔
मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, मगर खुलेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपर वाला ||
🤔
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#share
🤔
नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला |
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला ||
🤔
आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला |
कोरोना मुक्त होगा भारत,
🤔
बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद,
खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है,
सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला |
व्यवसाय रूका है उन गरीबों का,
जो नोट की जपते थे माला ||
【 मधुशाला-शराब 】
🤔 बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद, खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपरवाला ||
🤔
नशा मुक्त हो जाता भारत, तो कैसे चलती मधुशाला | व्यवसाय रूका है उन गरीबों का, जो नोट की जपते थे माला ||
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नहीं मिल रहा राशन पानी, मगर मिलेगी मधुशाला | भाड़ में जाए जनता बेचारी, दर्द में है पीने वाला||
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आपत्ति नहीं जताओ कोई, खुलने दो ये मधुशाला | कोरोना मुक्त होगा भारत, जब ठेके पर चलेंगें त्रिशूल और भाला ||
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मेरी विनती है तुम सब से, गर जाए कोई मधुशाला | वापिस ना आने दो उसको, तुम बंद करो घर का ताला ||
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दुनिया है बरबाद, और इन्हें चाहिए मधुशाला |
घर में ही रह लो..पागल लोगों, ना बचा पाएगा वो रखवाला ||
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मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, मगर खुलेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है, सोच रहा ऊपर वाला ||
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नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला |
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला ||
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आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला |
कोरोना मुक्त होगा भारत,
🤔
बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद,
खुली रहेंगी मधुशाला |
ये कैसी महामारी है,
सोच रहा ऊपरवाला ||
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नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला |
व्यवसाय रूका है उन गरीबों का,
जो नोट की जपते थे माला ||
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