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शनिवार, 2 मई 2020



🙏🏻विनती🙏🏻अपील🙏🏻
सम्मान जहाँ की सभ्यता है, ऐसा हमारा भारत है।
एकदूजे की करें सहायता, हमारे भारत की आदत है।।
👉🏻 आंखें नम हैं, सब को गम है, ये बीमारी सच में यम है,
बन्द किए शहर-टाउन है,हर जगह लॉकडाउन इसको नहीं रह है,,
देखो तो मेरे भारत की, इसने कैसी हालत है।
👉🏻लॉकडाउन के चक्कर में, सब खाना-खजाना खत्म हुआ,
अब भूखे मरें या बीमारी से,सोंचो ये कैसा सितम हुआ,,
यही सोंच सब निकले बाहर,अब मिले नहीं कोई राहत है।
👉🏻अब सहन न होता भूखा पेट है,बाहर देखो लॉक गेट है,
चौराहों पर गई पुलिस बैठ है,गलियों में गए तो होती कोरोना से भेंट है,,
भूख की खातिर कर्फ्यू तोड़ा,उठा लिया हाथ डंडा रोड़ा, आई ये कैसी आफत है।
👉🏻भूख पर यारो किसकी चलती,भीड़ ने देखो कर दी गलती,बाहर निकल आए घर से,
मौत के मुख में मौत के डर से,आ गए जाने लोग किधर से,मरने कोरोना वायरस से,,
करूँ मैं विनती, करो न गलती, ऐसा करने से नहीं मिलता कोई महारथ है।
👉🏻हाथ जोड़ मैं विनय करूँ, सब लोगों से,
मत मारो उन्हें ओ यारो,जो बचा रहे हमें रोगों से,,
आओ सब लॉकडाउन को सफल करें हम, मेरी बिनती और इबादत है,
👉🏻देखो तो बो भटक रहे हैं हमारी खातिर, मौत के मुख में,
तभी तो यारो घर में सुरक्षित बैठे हैं हम सुख से,,
सम्मान है【सर्वेन्द्र सिंह】मेरा इनको,उनको मेरी शहादत है।
👉🏻अपील यही है मेरी, हर सरकारी अधिकारी से,
भूख से भी बच लो,जैसे बचा रहे हमें महामारी से,,
ज्यादा कुछ नहीं लिख मैं, मुझ में बची नहीं अब ताकत है।
लेखक
         सर्वेन्द्र सिंह सनातनी
           9927099136
    मुरादाबाद-उत्तर प्रदेश-भारत
   
                शायरी
मौत जब आएगी होगी खड़ी जब सामने,
आशा होगी तब भी कोई आ जाए थामने,
आँखे खुलीं होंगी,हर ओर अँधेरा होगा,,
नजरें खोजेगीं अपनों को न कोई तेरा होगा,,
चाहत होगी जीने की,मगर जिंदगी खफा होगी,
रहेगा याद तू सबको यहाँ,तेरी वन्दगी वफा होगी,,

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