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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

[10:43 AM, 7/18/2019] सर्वेन्द्र सिंह: आया वुड़ापा, कमरिया झुक, जवानी ने साथ छोड़ा,बीमारी गई रुक, जिसको अपना समझकर, मैंने साथ दिया जीवनभर, वही बोझ समझते हमको, और पहुँचाते हैं दुख। जिसको जीवन साथी समझा,अब वो भी गाली बकती है, पति परमेश्वर मानने वाले की, अब देखो-ये कैसी भक्ती है, सबसे अच्छे मित्र ने देखो मोड़ लिया है मुख। सहारा समझके जिसको अपना,मैंने हर संकट झेल के पाला है, बोझ समझ कर हमको उसने घर से आज निकाला है, पोते तक न बोल सके,"कि'दादा जाओ रुक। कैसे सहें कैसे कहें,वुड़ापा एक सचचाई [11:22 AM, 7/18/2019] सर्वेन्द्र सिंह: - बुढ़ापा - आया वुढ़ापा, कमरिया झुक, जवानी ने साथ छोड़ा,बीमारी गई रुक, जिसको अपना समझकर, मैंने साथ दिया जीवनभर, वही बोझ समझते हमको, और पहुँचाते हैं दुख। जिसको जीवन साथी समझा,अब वो भी गाली बकती है, पति परमेश्वर मानने वाले की, अब देखो-ये कैसी भक्ती है, सबसे अच्छे मित्र ने देखो मोड़ लिया है मुख। सहारा समझके जिसको अपना,मैंने हर संकट झेल के पाला है, बोझ समझ कर हमको उसने घर से आज निकाला है, पोते तक न बोल सके,"कि'दादा जाओ रुक। कैसे सहें कैसे कहें,वुड़ापा एक सच्चाई है, साथ न देता है इस पल में सगा जो हमारा भाई है, नहीं है कोई किसी का,ऐसा है ये कलयुग। सर्वेन्द्र कह तू कुछ न सह, राम भजन कर प्यारे, जो भी हैं संकट तेरे सारे जाएंगे कट, तेरी नैया को भवसागर से अब वो ही पार उतारे, राम नाम में ही है भईया सच्चा सुख। लेखक- ठाo सर्वेन्द्र सिंह चौहान 9927099136 [11:37 AM, 7/18/2019] सर्वेन्द्र सिंह: - बुढ़ापा - आया वुढ़ापा, कमरिया झुक, जवानी ने साथ छोड़ा,बीमारी गई रुक, जिसको अपना समझकर, मैंने साथ दिया जीवनभर, वही बोझ समझते हमको, और पहुँचाते हैं दुख। जिसको जीवन साथी समझा,अब वो भी गाली बकती है, पति परमेश्वर मानने वाले की, अब देखो-ये कैसी भक्ती है, सबसे अच्छे मित्र ने देखो मोड़ लिया है मुख। सहारा समझके जिसको अपना,मैंने हर संकट झेल के पाला है, बोझ समझ कर हमको उसने घर से आज निकाला है, पोते तक न बोल सके,"कि'दादा जाओ रुक। कैसे सहें कैसे कहें,वुड़ापा एक सच्चाई है, साथ न देता है इस पल में सगा जो हमारा भाई है, नहीं है कोई किसी का,ऐसा है ये कलयुग। सर्वेन्द्र कह तू कुछ न सह, राम भजन कर प्यारे, जो भी हैं संकट तेरे सारे जाएंगे कट, तेरी नैया को भवसागर से अब वो ही पार उतारे, राम नाम में ही है भईया सच्चा सुख। लेखक- ठाo सर्वेन्द्र सिंह चौहान 9927099136 [4:50 PM, 7/18/2019] Nirpesh: सूरत तिहारी मन मोहन, मन मोह गयी। अब सिवा तेरे कोई, और नहीं भाता है।। तुम्हे देख यूँ लगे, जैसे तुम हमारे स्वामी। तुम से हमारा कोई, जन्मों का नाता है।। कितनी मधुर लगे, तान मुरली की तेरी। जब प्रेम रस डूबी, धुन तू बजाता है।। अब तो हमें भी निज, धाम तू बुला ले कृष्णा। तेरे बिन कहीं अब, रहा नहीं जाता है।। चारों पहर आठो याम, भजते हैं तेरा नाम। भक्तों को इतना क्यों, मोहन सताता है।। मन भावना से अब, हम तेरे हो गए। आत्मा परमात्मा  का सच्चा एक नाता है।। विरहा में और ना सताओ,  अब गिरधारी। दरश बिना अब कहीं, चैन नहीं आता है।। सूरत तिहारी गिरधारी, मन मोह गयी। अब सिवा तेरे कोई, और नहीं भाता है।। ©नृपेंद्र शर्मा "सागर" [5:10 PM, 7/18/2019] Monika: गज़ल कोई फिर सरफरोशी लिखी है मुहब्बत में यूं गर्म जोशी लिखी है वजूद अपना "मासूम" ने खुद मिटाकर मुकद्दर में खाना बदोशी लिखी है मोनिका"मासूस" [6:04 PM, 7/18/2019] +91 99979 45063: जख्मों का बाजार लगा था शहर में l हमें इत्तला तक न दी , किसी ने शहर में ll हाँ , बेशक हम सौदागर ना सही l गम-ए-हिज्र * का खरीदार था मैं शहर में ll ✍पिंकेश चौहान *जुदाई का गम [8:15 PM, 7/18/2019] Minaxi Thatur: ग़ज़ल दिल ही दिल में उनको चाहा करते हैं, सीने में इक तूफां पाला करते हैं। जब आये सावन का मौसम हरजाई, यादों की बारिश में भीगा करते हैं। हमने कितनी रातें काटीं रो-रोकर, वो भी शायद, करवट बदला करते हैं। होते कब सर शानों पर दीवानों के, फिर भी क्यूँ खुद को दीवाना करते हैं। लिक्खें जितने नग़में उनकी यादों में, हँसकर हर महफिल में गाया करते हैं । मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार मुरादाबाद ✍✍✍✍ [3:45 PM, 7/19/2019] +91 99979 45063: रेत पर आशियां बनाने से क्या फायदा l ख्वाब समंदर में, कश्ती चलाने से क्या फायदा ll जब दिल में ही हसरत ना हो चौहान l फ़िर यूं निगाहें मिलाने से क्या फायदा ll ✍पिंकेश चौहान [6:15 PM, 7/19/2019] +91 99979 45063: यूं घुट-घुट कर जीने से क्या फायदा l अरमां दिल में छिपाने से क्या फायदा ll कह डालो चौहान , जो दिल में है तेरे l यूं हसरतों क़ो दबाने से क्या फायदा ll ✍ पिंकेश चौहान [10:36 PM, 7/19/2019] Nirpesh: शीशे का दिल था मेरा कुछ आरजू के अक्स थे, इश्क़ की ठोकर लगी और किर्चा किर्चा हो गया। लाख चाहा छिपाना हाले दिल हमने मगर, रात भी बीती नहीं और सब में चर्चा हो गया।। [11:48 AM, 7/22/2019] सर्वेन्द्र सिंह: https://youtu.be/jJ4YhWhDmOA हाँ मैं वेरोजगार हूँ यारो, वास्तव में वेकार हूँ यारो, बिक जाता हूँ फिर भी होकर खड़ा बाजारों में, हाँ मैं खुद एक व्योपार हूँ यारो। [11:50 AM, 7/22/2019] सर्वेन्द्र सिंह: हाँ मैं वेरोजगार हूँ यारो, वास्तव में वेकार हूँ यारो, बिक जाता हूँ फिर भी होकर खड़ा बाजारों में, हाँ मैं खुद एक व्योपार हूँ यारो। ठाo सर्वेन्द्र सिंह 9927099136 [10:32 AM, 7/23/2019] Nirpesh: काफिया मिलके रदीफ़ हो जाये, दिल जरा दिल के करीब हो जाये। इबादत करलें इश्क़ में हम भी, उनकी इनायत नशीब हो जाये। लो हमने कह दिया चाहत का मतला, मुकम्मल जिंदगी की ग़ज़ल हो जाये। हाले दिल उनको सुनाई दे अपना, दुआ पर शायद अमल हो जाये। इश्क़ में उनको बना दें खुदा हम, बन्दगी सुबह शाम हो जाये। हमतो बदनाम ऐसे ही बहुत हैं, इश्क़ में शायद नाम हो जाये।। ©नृपेंद्र शर्मा "सागर" [2:19 PM, 7/23/2019] Monika: लगे कोई पहेली है कहे मेरी सहेली है दिखे भी हू ब हू मुझ सी अदा मेरी ही ले ली है ये तन्हा देख के मुझको बनाने बातें है लगती कभी हँसती कभी रोती हजारों खेल खेली है हमेशा साथ रहती है मेरे हर एक सुख दुःख में खुशी में नाचती गम में मेरी थामे हथेली है चढ़े जो दिन लिपट जाती है सबके सामने मुझसे यूं होते साँझ घबराए कोई दुल्हन नवेली है बहुत "मासूम "है छाया मेरी हर बात भी माने जहाँ की भीङ मे गुमसुम डरी सहमी अकेली है मोनिका मासूम 📝 [2:40 PM, 7/23/2019] Minaxi Thatur: काश अगर मैं पंछी होता, (बाल -कविता) काश अगर मैं पंछी होता, नील गगन में उड़ता । रंग -बिरंगे पर फैलाकर, सैर -सपाटा करता। बैठ आम की डाली पर मैं, आम रसीले खाता। मम्मी मुझको नहीं जगातीं, खूब मजे से सोता, होमवर्क न करना पड़ता हर दिन संडे होता। चंद्र यान सँग उड़कर मैं भी, दुनिया में इठलाता। चंदा -मामा से मिलकर फिर बातें खूब बनाता। मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार

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